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कौन सा भारत, अन्ना ?

सुनो अन्ना
सुनो अन्ना
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आदरणीय अन्ना अंकल,
कल मैं बहुत रोया क्योंकि, फीस न दे पाने के कारण स्कूल से मेरा नाम कट गया.
और रात को मेरे पापा घर आए, शराब पीकर .लेकिन वे आज मम्मी की बजाए नेताओं को चोर तथा भ्रष्ट बताते, गालियां देते आ रहे थे.
मां गुस्से में तो थी ही, बोल दिया,“ तुम क्या कम हो ? बच्चे की फीस की दारू पी गए.“
बस यह सुनने की देर थी कि पापा ने मां को बहुत मारा. मां ने “घरेलू-हिंसा कानून “ का नाम लिया तो पापा ने एक और जड दिया और बोले, “ यह इंग्लैण्ड नहीं है, राम दुलारी. यह भारत है, भारत .“
मैंने रोकना चाहा तो पापा ने मुझे भी मारा. मैंने भी ”बाल-हिंसा कानून“ का नाम लिया तो पापा ने फिर मारा. मैंने चिल्लाकर कहा “ 100 नंबर पर फोन करके पुलिस बुलाता हूं “ तो पापा ने एक और जड दिया और बोले,“ यह इंग्लैण्ड नहीं है, राम लुभाया. यह भारत है, भारत .“
हमारा चिल्लाना सुनकर पडौसी भागकर आया तो पापा ने उसे भी मारा और बोले,“ यह इंग्लैण्ड नहीं है, राम औतार. वर्ना किसी के घर में यूं घुस आने पर जेल में होते. शुक्र मना कि यह भारत है, भारत.“
अंकल जी, पापा ने तीन बार बोला ,“ यह भारत है, भारत. “ लेकिन वे किस भारत की बात कर रहे थे ? मैंने तो किताबों में पढा था कि भारत वह देश है जहां नारी की पूजा होती है, बालकों पर दया, और पडौसियों से प्रेम.
अंकल जी, कभी समय मिले तो मेरे पापा के कान खींचना और यह भी भी समझाना कि यह भारत ही है, इंग्लैण्ड नहीं .
लेकिन जरा जल्दी करना क्योंकि मेरे पापा मारते बहुत हैं. मुझे मार से उतना डर नहीं लगता जितना किसी शराबी के मुंह से यह सुनकर लगता है,“ यह भारत है, भारत .“

आपका अपना बच्चा
मन का सच्चा
अकल का कच्चा
प्रदीप नील

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