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कंवारों के लिए शपथ-पत्र

सुनो अन्ना
सुनो अन्ना
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आदरणीय अन्ना अंकल,
हमारे पडोसी अंकल राम ओतार ने मुझे कल ही चौक में पीटा और वह भी ,चप्पलों से.
असल में नंगे-भूखे आठ बच्चों के पिता राम ओतार शराब में धुत होकर सरकार को कोस रहे थे कि ज़ालिम सरकार उनके बच्चों की ‘शिक्षा ,भोजन और वस्त्र के लिए कुछ नहीं कर रही. मैं समझदार होता तो बडे लोगों की तरह घर बैठा मुस्कुराता रहता लेकिन मैं ठहरा नादान बालक. मैंने उनको तसल्ली देते हुए कहा “ ठीक कह रहे हो अंकल, आप.  भला यह क्या बात हुई कि आपके यहां आठ बच्चे पैदा तो करे सरकार और उन्हे पालें आप ?
राम ओतार अंकल थोडा  शरमाए और मेरी भूल सुधारते हुए बोले “ बच्चे तो मैंने ही पैदा किए हैं, सरकार ने नहीं “
मुझसे एक गलती और हो गई, पूछ बैठा “ तो क्या हुआ ? आपने बच्चे तो सरकार से पूछ कर ही पैदा किए होंगे ?”
उनका नशा थोडा उतरा, बोले “ नहीं, इसमें पूछना कैसा ? “ फिर अचानक उन्हे लगा कि मैं उनका हितेषी नहीं बल्कि सरकार का चमचा हूं अतः यह सरकार बदलनी ही चाहिए क्योंकि यह सरकार निकम्मी है.
आम तौर पर मैं इस बहस में नहीं पडता कि सरकार कैसी है पर मेरी कुंडली में पिटने के प्रबल योग बने हुए थे, इसलिए कह बैठा “ हाँ , सरकार तो निकम्मी है ही, जो बच्चों की फीस के पैसों की दारू पीने वालों को जूत्ते नहीं मारती “
मेरे इस बैया-वाक्य से राम ओतार-बंदर अंकल को वही ‘शिक्षा मिली जो आम तौर पर औसत भारतीय को मिला करती है और उन्होने वही किया जिसके लिए पूरे विश्व में हमारे नाम के झण्डे गडे हैं और उन्होने चौक में मुझे चप्पलों से पीटा.
अंकल जी , देश की कुल आबादी के 19 प्रति‘शत यानि लगभग २४ करोड़ युवक इस साल ‘शादी करने लायक हो जायेंगे. मैं नहीं चाहता कि पांच-सात साल बाद मेरे जैसा कोई बालक उनसे पिटे. इसलिए उन कुंवारों के लिए यह ‘शपथ-पत्र बना रहा हूं ताकि सात फेरे लेते वक्त  काम आएः
“मैं फलाना सिंह वल्द धमकाना सिंह पूरे हो‘श में घोषणा करता हूं कि जिस तरह किसी डिप्लोमा में एड्मि‘शन लेने का मतलब पास हो जाना नहीं होता , उसी तरह ‘शादी का मतलब भी की ५-६ साल में 5-6 बच्चे पैदा कर देना नहीं होता. मैं उतने ही बच्चे पैदा करूंगा, जितने पाल सकता हूं. और् सरकार को अपनी आया बिल्कुल नहीं समझूंगा.  जय हिंद
अंकल जी,यह घोषणा -पत्र उन युवाओं तक पहुंचाना अब का काम.

आपका अपना बच्चा
मन का सच्चा
अकल का कच्चा
– प्रदीप नील

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