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कौन बनेगा यहाँ करोड़पति ?

सुनो अन्ना
सुनो अन्ना
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आदरणीय अन्ना अंकल,
एक टीवी रिपोर्टर ने चुनौती दी है कि कोई माई का लाल इस पहेली को हल कर दे तो वह उसे एक करोड़ का इनाम देगा . हुआ यूँ कि कुछ दिन पहले उस टीवी रिपोर्टर ने गाँव के सरपंच के बड़े से दरवाज़े की सांकल खटखटाई तो अंदर से एक मुच्छल आ कर खड़ा हो गया, कमर पर दोनों हाथ रखे और गरज कर बोला “ अबे, क्या तकलीफ है ?“
बेचारे शहरी रिपोर्टर को ऐसे स्वागत की उम्मीद नहीं थी इसलिए हकलाने लगा “ जी…जी, सरपंच ओमपति का इंटरव्यू करना था .इसलिए …“
“ क्यों भाई, उसने ऐसा क्या तीर मार दिया जो कैमरा उठा कर चले आए ?“
“ जी वह इस इलाके की पहली महिला सरपंच बनी हैं..“
“ तो ?“
“ जी इस उपलब्धि पर उन्हे टीवी पर दिखाना चाहते हैं “
मुच्छल ने अहसान सा करते हुए रास्ता दे दिया और बैठने को कुर्सी भी. फिर बोला “ चलो, अब शुरू करो तुम्हारा इंटरव्यू “
रिपोर्टर झिझका और इधर-उधर देखते हुए बोला “ जी ओमपति…“
मुच्छल ने घुड़का “ अबे मैं ही ओमपति . बोल अब “
“ जी वो सरपंच..“
“ अबे, कहा न मैं ही हूं .”
” आप का नाम ओमपति है ?”
” मेरा नाम तो ओम प्रकाश है . लेकिन तुम्हारी चाची ठहरी अंगूठा-टेक . तुम हाथ भी जोड़ोगे तो भी घूँघट नहीं उठाएगी. वैसे भी पता नहीं क्या बोल दे, फिर पूरा देश हंसेगा. उधर तुम टीवी पर कई दिन उसे घसीटोगे कि कैसे-कैसे लोग सरपंच होने लगे हैं जिन्हें कायदे से तो वोट डालने का भी अधिकार नहीं होना चाहिए “ मुच्छल मजबूरी बताने लगा.
रिपोर्टर ने भी अपनी मज़बूरी बताई तो आवाज़ लगाने पर ओमपति भीतर से आई . एक हाथ लंबा घूंघट निकाले आ कर सर झुका कर खड़ी हो गई . रिपोर्टर ने कहा ” आपको बधाई “
मुच्छल ने कैमरे की तरफ मुस्कुरा कर कहा “ थैंकू भाई, थैंकू “
रिपोर्टर ने ओमपति से पूछा “ इस उपलब्धि पर कैसा लग रहा है ?“
मुच्छल ने तपाक से कहा ” बहुत अच्छा .“
रिपोर्टर झुंझलाया ” आप इनको ही बोलने दें . हां तो चुनाव जीतने के लिए आपने क्या-क्या किया ?“
मुच्छल हंसा ” इसने पकाई रोटियां . वोट माँगने घर-घर मैं घूमा, आखिर यहाँ साख तो मेरी ही थी .“
“ क्या मतलब ?“ रिपोर्टर शर्त भूल गया कि उसने मुच्छल को बोलने से मना किया था .
“ मतलब तो यह कि पिछले तीन प्लान से सरपंच बन रहा हूं , इस बार भी मैं ही बनता . यह तो बिल्ली के भाग से छींका टूट गया जो सीट लेडीज के लिए रिज़र्व हो गई और तुम्हारी चाची के नाम सरपंची लेनी पड़ी “
“ तो सरपंच बन कर आप क्या कर रही हैं ?“ उसने ओम पति से पूछा .
“ सरपंचनी बन कर भी वही घर का धंधा करती है , जो पहले भी करती थी. असली सरपंची तो मैं संभालता हूं . मीटिंग में जाता हूं, इसके नाम के साइन करता हूं . मतलब सारे काम ..“
पढ़ा-लिखा शहरी रिपोर्टर चकराया “ आप साइन करते हैं ? किस हैसियत से ? आप कौन हैं ?“
ज़वाब मिला “ मैं ओम प्रकाश . सरपंच-पति .“
“ सरपंच-पति ? यह कौन सा पद है ? यह नाम तो पहली बार सुन रहा हूं “
मुच्छल गर्म हो गया “ अबे तुमने राष्ट्र-पति , सभापति और सेनापति सुना है ? जैसे ये सब पति, वैसा ही सरपंच-पति “
यह सुन कर रिपोर्टर इतना चकराया कि वहां से भाग आया . तीन महीने बीत चुके लेकिन, वह इस पहेली को आज तक हल नहीं कर पा रहा कि मुच्छल के हिसाब से ओम प्रकाश तो इसलिए सरपंच-पति है क्योंकि वह ओम पति नाम की सरपंच का पति है लेकिन सरपंच का नाम ओमपति है . तो मुच्छल के हिसाब से वह किसकी पति है ?
अंकल जी, ज़रा जल्दी जवाब देना मुझे पैसों की बहुत ज़रुरत है .
आप का अपना बच्चा
मन का सच्चा
अक्ल का कच्चा
प्रदीप नील

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